नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दक्षिणी दिल्ली के पॉश कॉलोनी के पुनर्विकास के लिए 315 पेड़ों को पाटने और दूसरे जगह स्थानांतरित करने की अनुमति दिए जाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि पेड़ों को काटने से पर्यावरण और आसपास के लोगों को काफी नुकसान होगा।
मुख्य न्यायाधीश धीरूभाई नारायणभाई पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, दक्षिणी दिल्ली जिला के उप वन संरक्षक और पुनर्विकास परियोजना का काम देख रहे एनबीसीसी से जवाब मांगा है। पीठ ने निगम पार्षद अभिषेक दत्त की ओर से दाखिल याचिका पर दिया है। दत्त ने अधिवक्ता वरूण चोपड़ा के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा है कि इसी साल 14 सितंबर को अगस्त क्रांति मार्ग पर स्थित आयुर विज्ञान कॉलोनी के पुनर्विकास के लिए वन विभाग ने 315 पेड़ों को काटने और ट्रांस्पलांट करने की अनुमति दे दी है।
याचिका में कहा गया है कि पेड़ों को काटने से पर्यावरण को नुकसान होगा। साथ ही कहा कि गया है कि पेड़ों को उखाड़कर दूसरे जगह लगाने की प्रक्रिया कारगर नहीं है, इससे अधिकांश पेड़ सूख जाते हैं। याचिका में कहा गया है कि पेड़ों को काटने या उखाड़कर दूसरे जगह लगाने की अनुमति देते वक्त विभाग ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया है। मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।