नई दिल्ली/नगर संवाददाता : बारिश के चलते आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से नई खेप मंडियों तक नहीं आने के कारण अब लोगों को प्याज का तड़का लगाना भी महंगा हो गया। महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों के पास पहले के जो स्टॉक उनके घरों में हैं, वही स्टॉक मंडियों में आ रहे हैं, यही वजह है कि इसकी कीमतों में पिछले कुछ दिनों से बढ़ोतरी हो रही है। गुरुवार को इसके भाव में 1000 रुपए प्रति क्विंटल से भी अधिक का इजाफा हुआ। बाजार में प्याज का भाव बीते 4 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है।
खबरों के मुताबिक, देश के सबसे बड़े होलसेल प्याज मार्केट ‘लासलगांव एपीएमसी’ में बीते गुरुवार को प्याज के भाव में 1000 रुपए प्रति क्विंटल से भी अधिक का इजाफा हुआ। इसके साथ ही इस बाजार में प्याज का भाव बीते 4 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है। गुरुवार शाम को इस बाजार में प्याज का भाव 4500 रुपए प्रति क्विंटल के पार जा चुका है।
बारिश के चलते आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से प्याज की नई खेप मंडियों तक पहुंची ही नहीं हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के किसानों के पास पहले के जो स्टॉक उनके घरों में हैं, वही स्टॉक मंडियों में आ रहे हैं। इसलिए कीमतों में पिछले कुछ दिनों से बढ़ोतरी हो रही है। सितंबर 2015 में प्याज का भाव अधिकतम 4300 रुपए प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंचा था। इस बाजार में अब का सबसे उच्चतम भाव 5700 रुपए प्रति क्विंटल था, जो कि 22 अगस्त को 2015 को दर्ज किया गया था।
देशभर के कई प्रमुख मंडियों में लासलगांव के ही प्याज सप्लाई किए जाते हैं। पिछले सप्ताह इस बाजार में प्याज का जो भाव 35 रुपए प्रति किलोग्राम था वो बढ़कर 50 रुपए प्रति किलोग्राम हो गया है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में प्याज की आवक में कमी आई है। इन्हीं राज्यों में प्याज का सबसे अधिक उत्पादन होता है। यही वजह है कि प्याज के मांग बढ़ने की वजह से कीमतों में तेजी दर्ज की जा रही है।
गुरुवार को इस बाजार में 7 हजार क्विंटल ही प्याज की आवक रही। हालांकि उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ दिनों में स्थिति बेहतर होगी, क्योंकि दक्षिण राज्यों के प्याज की नई फसले आने लगेगी। महाराष्ट्र और राजस्थान से प्याज की नई खेप नवंबर तक आएगी। लोकल मंडियों में प्याज 30 से 35 रुपए किलोग्राम बिक रहा था, लेकिन आवक में कमी के कारण अब यही प्याज 55 से 60 रुपए किलोग्राम हो गया है।