दिल्ली/नगर संवाददाता: नई दिल्ली। प्रख्यात इतिहासकार और कई पुरस्कारों से सम्मानित रोमिला थापर को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने बायोडाटा जमा करने को कहा है ताकि यह विचार किया जा सके कि क्या वे जेएनयू में एमेरिटा प्रोफेसर के रूप में जारी रहेंगी या नहीं। इसके यह विवाद गर्मा गया है। थापर ने कहा कि उन्हें जुलाई में पत्र मिला था और उन्होंने इसका जवाब दिया है।
जेएनयूटीए ने की माफी की मांग: जवाहरलाल नेहरू शिक्षक संघ ;जेएनयूटीएद्ध ने विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इतिहासकार रोमिला थापर से प्रोफेसर एमेरिटस पद पर बने रहने के लिए बायोडाटा मांगने के फैसले को ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ बताया। जेएनयूटीए ने कहा कि यह एक ‘जानबूझकर किया गया प्रयास है और उन लोगों को बेइज्जत करना है जो वर्तमान प्रशासन के आलोचक हैं। जेएनयूटीए ने इस कदम की औपचारिक वापसी और थापर के लिए व्यक्तिगत माफी जारी करने की मांग की।
एसोसिएशन ने प्रशासन द्वारा थापर को अपने ‘ओछे पत्र’ के माध्यम से जेएनयू के शिक्षण और सीखने की परंपराओं को ‘बदनाम’ करने के प्रयासों पर नाराजगी व्यक्त की। शिक्षक संघ ने कहा कि थापर और जेएनयू के प्रत्येक अन्य प्रोफेसर एमेरिटस। एमिरिटा, को एक संस्थान के तौर पर जेएनयू के निर्माण में उनके योगदान के लिए उन्हें इस पद पर जीवन भर के लिए नामित किया गया है।
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने जुलाई में थापर को पत्र लिखकर बायोडाटा देने को कहा था ताकि वे इस बात का मूल्यांकन कर सकें कि थापर को प्रोफेसर एमेरिटस के तौर पर जारी रखना चाहिए या नहीं।
जएनयू ने दी यह सफाई: जेएनयूटीए के बयान के बाद विश्वविद्यालय ने कहा कि वे जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिटस के पद पर नियुक्ति के लिए अपने अध्यादेश का पालन कर रहा है। उसने कहा कि अध्यादेश के मुताबिक विश्वविद्यालय के लिए यह जरूरी है वह उन सभी को पत्र लिखे जो 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं ताकि उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता चल सके। यह पत्र सिर्फ उन प्रोफेसर एमेरिटस को लिखे गए हैं, जो इस श्रेणी में आते हैं।
विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया कि उसने यह पत्र उनकी सेवा को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारिणी परिषद द्वारा समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है और ऐसा अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय जैसे एमआईटी और प्रिसंटन विश्वविद्यालय में भी होता है।
कौन हैं रोमिला थापर: रोमिला थापर देश की प्रमुख इतिहासकारों व लेखकों में से एक हैं। 30 नंवबर 1931 को लखनऊ में जन्मी थापर ने पहले पंजाब विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातक किया। उसके बाद उन्होंने लंदन विश्वविद्यालय से प्राचीन भारतीय इतिहास में स्नातक से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। थापर ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से शिक्षण की शुरुआत की थी। इसके बाद रोमिला कुछ वर्षों तक डीयू में भी पढ़ाती रहीं। 1970 में वे जेएनयू आ गईं।