प्रसूति के बाद महिला की मौत, नहीं है महिला रोग डाॅक्टर विशेषज्ञ

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अंबाला, गुरप्रीत सिंह : कस्बा स्थित सीएचसी में एक महिला की डिलीवरी हुई। जिसमें महिला को बेटा हुआ। पुत्र रत्न की प्राप्ति को लेकर परिजन बहुत खुश थे। लेकिन महिला का आप्रेशन करना पड़ा जिस कारण महिला की मौत हो गई जिससे खुशी के बाद भी माहौल मातम में बदल गया। महिला की डिलीवरी होने के कुछ देर बाद महिला को मुलाना मेडिकल कालेज में रैफर कर दिया। जहां पर अचानक हुए बल्डिंग के कारण महिला का ऑपरेशन करना पड़ा। डॉक्टरों ने महिला की जान बचाने के लिए यूटे्रस निकाल दी। लेकिन इस दौरान महिला की मौत हो गई। जिस को लेकर महिला के परिजन सीएचसी  के एक डाक्टर के खिलाफ थाना परिसर में पहुंचे। हालांकि उन्होंने कहा कि हम किसी के खिलाफ जाना नही चाहते। बस हमें यह पता लगना चाहिए कि महिला की मौत किस कारण हुई। बाद में एक व्यक्ति ने कहा कि हमें यह भी जानकारी मिली है कि एक नर्स ने कहा था कि यहां पर डिलीवरी नही हो सकती। थाना परिसर में सीएचसी इंचार्ज डा बीरबल, डा दिनेश कुमार सहित कई डाक्टर मौजूद रहे। सभी के सामने नर्स को बुलाया गया। जिससे पूछा गया कि उसने कहा था कि यहां पर डिलीवरी नही होती तो नर्स ने कहा कि मैने ऐसा नही कहा हमारे यहां पर डिलीवरी होती हैं। सीएचसी में सप्ताह में दो चार डिलीवरी होती है जो सफल हुई है। कभी कोई ऐसा केस सुनने में नही आया। जिसके बाद महिला के परिजन संतुष्ट हुए ओर चले गए। गांव में जाकर महिला का अन्तिम संस्कार कर दिया गया। स्वास्थ्य मंत्री से गुहार:- सीएचसी बराड़ा में यह पहला केस नही है। यहां पर कई बार डिलीवरी होने के बाद या तो मां की मौत हो गई या फिर बच्चे की जान चली गई। बीते साल हुई डिलीवरी में जन्म के कुछ घंटे बाद बच्चे की मौत हो गई थी। जिसमें परिजनों ने आधी रात तक हंगामा रखा। मौके पर कोई डाक्टर नही पहुंचा। बाद में सीएम हो के मामला संज्ञान में आने पर पुलिस की मौजूदगी में अंबाला से डाक्टर आए लोगों को समझाया जिसके बाद बच्चे को लेकर परिजन चले गए। सीएचसी बराड़ा में स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई भी महिला डाक्टर को नियुक्त नही किया है सीएचसी बराड़ा की दसवीं पास स्टाफ नर्स ही डिलीवरी कर रही है। यहां ईचार्ज रहे डा राजेन्द्र सैनी ने महिला डाक्टर की नियुक्ति के लिए बहुत प्रयास किया था। लेकिन नियुक्ति नही हो पाई न ही डाक्टर ने जरूरत को देखते हुए महिला रोग विशेषज्ञ डाक्टर को रखा गया। न ही पूर्व सीएमओ विनोद गुप्ता ने इस ओर ध्यान देना उचित समझा। जिसकी वजए से सीएचसी बराड़ा में मौत का तांडव हो रहा है। अगर इसी तरह से स्टाफ नर्स डिलीवरी के दौरान लापरवाही करेंगी तो उनके खिलाफ उचित कार्रवाई कर मुकदमा दर्ज होना चाहिए। सवालिया निशान उठता है कि अगर महिला का स्वास्थ्य ठीक था तो उसे रैफर क्यों किया गया। क्या कहते हैं सीएचसी इंचार्ज डा बीरबल महिला को डिलीवरी के बाद बल्डिंग हो गई थी। जिस कारण उसे रैफर किया गया था। ये थे लक्षण: महिला को हुई बीमारी को  पीपीएच कहते हैं जिसका इलाज पीजीआई चंडीगढ़ व एस में है तो ऐसे में सीएचसी पर कैसे इलाज के लिए क्यों भेजा गया। डीजी हैल्थ से मांग है कि क्या स्टाफ नर्स सीएचसी व पीएचसी पर डिलीवरी कराने के लिए सक्षम हैं। यदि नही है तो अनहोनी के लिए कौन जिम्मेवार है। ऐसा केस आया था। परिजनों की डाक्टरों से बात हुई जिससे परिजन संतुष्ट थे।

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