देहरादून, उत्तराखंड/नगर संवाददाताः पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद को सक्रिय रख पार्टी के भीतर और बाहर अपने विरोधियों पर खासे भारी पड़ रहे हैं। उन्होंने भाजपा के विधायकों के दो दिनी प्रशिक्षण और प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को लेकर सत्तारूढ़ दल पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश में सांप्रदायिक विद्वेष चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसके लिए खेद जताना चाहिए। आर्थिक आंकड़ों में उनके मुख्यमंत्रित्व काल में विकास दर में दर्ज की गई गिरावट के लिए उन्होंने विमुद्रीकरण पर दोष मढ़ा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भले ही करारी शिकस्त मिली हो, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत इस बुरे वक्त को खुद पर कतई हावी नहीं होने दे रहे हैं। राज्य की सियासत में मजबूत हैसियत के लिए जाने जाते रहे हरीश रावत अपने जोशो-जुनून से पार्टी के भीतर और बाहर छाप छोड़ने का मौका नहीं चूक रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से मुखातिब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा और केंद्र सरकार पर उनके नए नारे ‘सांप्रदायिकता भारत छोड़ो’ को लेकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि भाजपा और उसके सहयोगी संगठन गोरक्षा के नाम पर देश में भय और आतंक का माहौल बना रहे हैं। तथाकथित गो रक्षक व हिंदू युवा वाहिनी जैसे संगठन धर्म आधारित घृणा के प्रचार के लिए भीड़हत्या को माध्यम बना रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री का कथन मजाक बनकर रह गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को ऐसे माहौल के लिए खेद जताना चाहिए, साथ में जिन लोगों ने सांप्रदायिकता का जिन्न खड़ा किया है, उसे बोतल में बंद करना उनकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय के विचारों का प्रसार सही है, लेकिन इसके लिए इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नाथू राम गोडसे को महिमामंडित किया जा रहा है। ऐसी कोशिशों के खिलाफ आवाज उठाई जाएगी। जरूरत हुई तो संघर्ष भी किया जाएगा।
हरीश रावत ने पीएम मोदी और भाजपा पर बोला हमला
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