नई दिल्ली/नगर संवाददाताः ड्राइविंग लाइसेंस व फिटनेस सर्टिफिकेट आदि के शुल्कों में की गई बढ़ोतरी पर विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार राज्यों को इन शुल्कों में कमी करने का अधिकार देने जा रही है। इस संबंध में केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पिछले साल 29 दिसंबर को केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में संशोधन कर इस साल 1 जनवरी से ड्राइविंग लाइसेंस, ड्राइविंग टेस्ट, और फिटनेस सर्टिफिकेट आदि जारी करने के शुल्कों में भारी बढ़ोतरी लागू कर दी थी। इसके तहत लर्निग लाइसेंस शुल्क को 30 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये, ड्राइविंग लाइसेंस शुल्क को 50 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये, राष्ट्रव्यापी ड्राइविंग परमिट शुल्क को 500 रुपये बढ़ाकर 1000 रुपये, ड्राइविंग स्कूल के लाइसेंस नवीकरण शुल्क को 2500 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये तथा पंजीकरण शुल्क को 2500 रुपये के स्थान पर 10 हजार रुपये कर दिया गया है। यही नहीं, तिपहियों का पंजीकरण शुल्क जो पहले 300 रुपये था, अब 1000 रुपये है। इसी तरह बसों और ट्रकों का पंजीकरण शुल्क 600 रुपये के स्थान पर 1500 रुपये, जबकि डुप्लीकेट लाइसेंस बनवाने का शुल्क 2500 रुपये के स्थान पर 5000 रुपये कर दिया गया है। ये शुल्क राजस्थान के परिवहन मंत्री यूनुस खान की अध्यक्षता वाले राज्य परिवहन मंत्रियों के समूह की सलाह पर निर्धारित किए गए थे। तब समूह में शामिल किसी राज्य ने इनका विरोध नहीं किया था। बाद में जब अधिसूचना जारी हुई, तब भी विरोध का कोई स्वर सुनाई नहीं पड़ा। प्राय: सभी राज्यों ने अपने यहां अधिसूचना के अनुसार बढ़े शुल्क लागू कर दिए। पर बाद में विरोध उभरने लगा। सड़क मंत्रालय ने 3 फरवरी को केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली के नियम-32 और नियम-81 में संशोधन की मसौदा अधिसूचना जारी की है। इन नियमों में जहां पहले प्रावधान था कि राज्य सरकारें केंद्र द्वारा निर्धारित शुल्कों से अधिक शुल्क अपने यहां लागू कर सकती हैं। वहीं अब इसे बदलकर राज्यों को केंद्र द्वारा निर्धारित शुल्कों से कम शुल्क लागू करने का अधिकार देने की बात कही गई है।
राज्यों को मिलेगा डीएल व आरसी शुल्क घटाने का अधिकार
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