नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का अनुरोध किया गया था जिन्हें प्राधिकारियों ने छोड़ दिया था। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि नियमितीकरण वाली ऐसी कालोनियां गरीबों और वंचित तबकों के लिए है न कि अमीर वर्ग के लिए।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि ये याचिका संपन्न अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों के इशारे पर दायर की गयी लगती है। पीठ ने सवाल किया कि क्या संपत्ति के धनी मालिक अशिक्षित, गरीब या वंचित वर्ग से हैं, क्योंकि उन्होंने यहां सैनिक फार्म, महेंद्रू एन्क्लेव और अनंत राम डेयरी कॉलोनी जैसी अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का अनुरोध किया है।
पीठ ने एक वकील द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा, ष्ऐसा प्रतीत होता है कि यह संपन्न अनधिकृत कॉलोनी के मकान मालिकों के इशारे पर प्रेरित मुकदमा है। पीठ ने कहा कि छूट गयी अनधिकृत कॉलोनियों के निवासी जब भी अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे, नियम और कानून के अनुसार कोई फैसला किया जाएगा।
पीठ ने अनधिकृत कॉलोनियों को कानूनी या नियमित कॉलोनियों में बदलने के अनुरोध वाली याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश पारित किया।
केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि अनधिकृत कॉलोनियों में समाज के निम्न आय समूहों के मुद्दों को व्यापक रूप से हल करने के मकसद से नियम और कानून बनाए गए हैं।