गाजियाबाद, नगर संवाददाता: जिले की साइबर सेल ने इंटरनेशनल साइबर ठगों के गैंग का पर्दाफाश किया है। सेल ने गिरोह के छह गुर्गो को गिरफ्तार किया है। इनके पास से आठ मोबाइल फोन, 80 पेज का डाटा, पांच लैपटॉप, चार एटीएम समेत अन्य सामान बरामद हुआ है। गिरोह के सरगना दो आरोपित गौरव व रामकुमार अभी फरार हैैं। आरोपित इंदिरापुरम क्षेत्र में कॉल सेंटर चलाकर इस ठगी के कारोबार को अंजाम दे रहे थे। एसएसपी अमित पाठक, एसपी सिटी प्रथम निपुण अग्रवाल और साइबर सेल प्रभारी सीओ अभय कुमार मिश्र ने बताया कि पकड़े गए आरोपित बेगमपुर रोहिणी दिल्ली निवासी आशीष सूरी, मवाना मेरठ निवासी अविनाश गुप्ता, पंचतत्व सोसायटी नोएडा निवासी एडविन जार्ज, मुनीरका दिल्ली निवासी आदर्श, ट्रोनिका सिटी निवासी उमेश नेगी और मंडावली दिल्ली निवासी विक्रमचंद दास हैं। विक्रमचंद आठवीं पास है और कॉलसेंटर में चपरासी था जबकि आदर्श 12वीं पास है। अन्य सभी आरोपित स्नातक हैं। आरोपितों के 15 बैंक खाते पुलिस को मिले हैं, इन्हें पुलिस ने सीज करा दिया है। बैंक से इन खातों की स्टेटमेंट मांगी गई है। गौरव व रामकुमार के पकड़े जाने के बाद पूरी जानकारी मिल सकेगी।
एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि कंप्यूटर हार्डवेयर में समय-समय पर अपडेट, सॉफ्टवेयर रिन्यू समेत अन्य तकनीकी अपडेट की आवश्यकता होती है। जापान की कुछ सॉफ्टवेयर कंपनियों ने पूर्व में भारतीय एजेंसियों से टाइअप किया था। यह डाटा करीब पूर्व में लीक हो गया और गिरोह के हाथ लग गया। इसके बाद इस गिरोह ने योजना बनाकर इस पर काम शुरू किया। गिरोह के सरगना इंटरनेट कॉलिग के जरिये जापानी कंपनियों से संपर्क करते थे और गिरोह के सदस्यों से जापानी भाषा में बात कराते थे। वह उन्हें सॉफ्टवेयर अपडेट का झांसा देकर जापान से ही सॉफ्टवेयर खरीदवाते थे और उनके सिस्टम को रिमोट पर लेकर सॉफ्टवेयर की गोपनीय की कॉपी कर चोरी कर लेते थे। इसके बाद वह इस सॉफ्टवेयर को दूसरी कंपनी को बेच देते थे और पैसा अपने खातों में ट्रांसफर करा लेते थे।
साइबर सेल प्रभारी सीओ अभय कुमार मिश्र ने बताया कि पकड़े गए आरोपितों में विक्रमचंद को छोड़कर बाकी सभी जापानी भाषा जानते हैं। सभी आरोपितों ने दिल्ली के एक इंस्टीट्यूट से जापानी भाषा सीखी थी। वह जापानी कंपनियों के अधिकारियों से जापानी में ही बात करते थे। आरोपित अपने खातों में जापानी डॉलर मंगाते थे और इन्हें रुपयों में बदलवाते थे। पुलिस को जानकारी मिली है कि दिल्ली में हवाला का काम करने वाले कुछ लोग इस काम में उनका साथ देते थे। पुलिस करेंसी बदलवाने वालों को तलाश रही है। पकड़े जाने के बाद उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही आरोपित गूगल-पे एप के कूपन भी जापानी कंपनियों से मंगाते थे और उनका भुगतान दिल्ली के एजेंटों से करा लेते थे
आरोपित पिछले करीब डेढ़ साल से ठगी का कारोबार चला रहे थे। गिरोह के एक सदस्य ने बताया कि पिछले दो माह फरवरी व मार्च में ही वह करीब 60 हजार जापानी डॉलर की ठगी कर चुके हैं। गिरोह अब तक जापानी कंपनियों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है। पकड़े गए आरोपित जापानी भाषा तो जानते ही हैं साथ ही तकनीकी रूप से भी काफी मजबूत हैं। वह जापानी कंपनियों के सॉफ्टवेयर खोलने के साथ, उन्हें रिमोट पर लेने और उसकी सेटिग समेत गोपनीय पासवर्ड को भी चोरी करने के बारे में जानते थे।