नई दिल्ली, नगर संवाददाता: उत्तरी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में बुधवार को साप्ताहिक बाजारों का मुद्दा जोर शोर से छाया रहा। स्थायी समिति चेयरमैन छैल बिहारी गोस्वामी ने निगमायुक्त को दस दिन का समय दिया है कि वह सर्वे करा रिपोर्ट पेश करें। बैठक शुरू होने पर नेता सदन ने कहा कि 14 अक्टूबर 2009 से उत्तरी निगम साप्ताहिक बाजारों की फीस 15 रुपये श्रेणी ए से डी तक और दस रुपये ई से एच श्रेणी के लिए वसूल किए जाते हैं। साप्ताहिक फीस की इन दरों को एक जनवरी 2010 से लागू किया गया था, लेकिन तब से अब तक कोई संशोधन नहीं किया गया। उस समय 106 साप्ताहिक बाजार नियमित रूप से लग रहे थे और आज भी उनकी संख्या निगम के रिकार्ड में उतनी ही है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि साप्ताहिक बाजारों की संख्या एक दशक में कई गुना बढ़ी है। बाजारों से निगम को छोड़ कर दूसरी एजेंसी के कर्मचारी रुपए वसूलते हैं जबकि निगम आज भी दस से 15 रुपये वसूल रहा है। सोमवार, मंगलवार सहित अन्य वारों को लगने वाले बाजारों की संख्या जो रिकार्ड में दी गई है उससे कई गुना दुकानदार सड़कों पर दुकान लगा रहे हैँ। स्थायी समिति के सदस्य पार्षद तिलकराज कटारिया ने कहा कि साप्ताहिक बाजारों में माफिया के लोग जेबों में पैसा भर रहे हैं। साप्ताहिक बाजारों लगने से पहले वहां पीली रेखा खींची जाए ताकि उसके बाहर दुकानें ना लग सकें। विपक्ष के पार्षद विक्की गुप्ता ने कहा कि एक बाजार में पांच हजार दुकानें लग रही हैं और निगम के रिकार्ड में 200 से 300 तक दर्ज हैं। आखिर यह पैसा किसकी जेब में जा रहा है।
स्थायी समिति बैठक में छाया साप्ताहिक बाजारों का मुद्दा
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