नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से राष्ट्रीय खेल महासंघों को व्यवस्थित करने के लिये कहा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे खेल संहिता का पालन करें। अदालत ने इसके साथ ही खेल संघों को मान्यता प्रदान करने के संबंध में किसी तरह की ढील नहीं देने को कहा। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और नजमी वजीरी की पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा, ‘‘एनएसएफ (राष्ट्रीय खेल महासंघों) को व्यवस्थित करिये। उनके लिये खेल संहिता का पालन करना इतना मुश्किल क्यों है। ‘‘ पीठ ने यह निर्देश उस याचिका पर दिये हैं जिसमें खेल संहिता का पालन नहीं करने वाले खेल महासंघों की मान्यता पर रोक लगाने का आग्रह किया गया है। पीठ ने खेल मंत्रालय की तरफ से उपस्थित केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनिल सोनी से कहा, ‘‘जब हम इस पर विचार कर रहे हैं तब तक कोई अंतरिम राहत नहीं दी जाएगी।’’ अदालत ने मामले को 19 फरवरी को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया और मंत्रालय से 18 फरवरी तक जवाब देने के लिये कहा। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि उसे खेल संहिता का पालन नहीं करने वाले महासंघों के लिये मंत्रालय द्वारा दी जा रही राहत को लेकर संदेह है। अदालत ने कहा, ‘‘जो राहत दी जा रही है हमें उसको लेकर संदेह है। अगर आप इस तरह से छूट दे रहे हैं तो फिर आपने खेल संहिता को बर्बाद कर दिया है।’’ अदालत ने आगे कहा कि एक बार महासंघों को खेल संहिता का अनुपालन नहीं करने के बावजूद जारी रहने की अनुमति दी गयी है तो उन्हें फिर से राहत नहीं दी जा सकती है। पीठ ने कहा, ‘‘आज अगर कोई नियम आ रहा है जो कि खेल संहिता को पूर्ववत कर देगा तो ऐसा नहीं हो सकता। यह हमारा नजरिया है। ‘‘ अदालत ने यह भी कहा कि किसी एक महासंघ में खेल संहिता के अनुसार चुनाव कराने के लिये एक प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है और उसके परिणाम के आधार पर अन्य खेल संघों में भी ऐसा किया जा सकता है। अदालत ने यह टिप्पणी एडवोकेट राहुल मेहरा की याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें उन्होंने एक फरवरी को खेल संहिता में महासंघों की मान्यता के संबंध में राहत प्रदान करने को लेकर जोड़े गये एक उपनियम पर रोक लगाने की मांग की थी।
उच्च न्यायालय ने केंद्र को खेल संघों को व्यवस्थित करने को कहा
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