नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग पांच हजार तदर्थ शिक्षकों को समायोजन का इंतजार है। शिक्षक लगातार इसकी मांग कर रहे हैं। सोशल मीडिया सहित अन्य मंचों पर शिक्षक प्रतिनिधि पूछ रहे हैं कि आखिर डीयू ने कार्यकारी परिषद की बैठक में तदर्थ शिक्षकों के समायोजन की संभावना व उसकी प्रक्रिया को लेकर जो समिति बनाने की बात कही थी उसका क्या हुआ।
इस बाबत डीयू में एकेडमिक फार एक्शन एंड डेवलेपमेंट के पदाधिकारी व कार्यकारी परिषद के सदस्य राजेश झा ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. पीसी जोशी को पत्र भी लिखा है। उनका कहना है कि तदर्थ शिक्षक मानसिक प्रताड़ता झेल रहे हैं। उनको निकाले जाने का डर हमेशा सताता है। डीयू की कार्यकारी परिषद की बैठक में प्रशासन ने जब एक समिति बनाने की बात कही तो उसका कोई विरोध नहीं हुआ, लेकिन दो महीना बीत जाने के बाद भी अब तक समिति नहीं बनी है।
यही नहीं डीयू तदर्थ शिक्षकों के हितों को लेकर भी गंभीर नहीं है। राजनीति विज्ञान विभाग सहित कई विभागों में जब तदर्थ शिक्षक चार महीने पढ़ा चुके होते हैं तब उस विभाग को डीयू कहता है कि जिस पोस्ट पर तदर्थ शिक्षक ने पढ़ाया वह पोस्ट ही स्वीकृत नहीं है। ऐसे में तदर्थ शिक्षक को उन चार महीनों के वेतन से भी वंचित होना पड़ा। झा ने कहा कि, हमारी डीयू प्रशासन से मांग है कि तदर्थ शिक्षकों के हितों की अनदेखी न करते हुए उनका समोजन हो जिससे उनके साथ सामाजिक न्याय हो सके।