नई दिल्ली, नगर संवाददाता: इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (आयुष) ने हेल्थ के साथ-साथ आयुष के बजट में भी वृद्धि की मांग की है। एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आर. पी. पाराशर व संरक्षक डॉ. युवराज त्यागी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मांग की है कि हेल्थ बजट को बढ़ाकर जीडीपी का 5 फीसदी और आयुष बजट को हेल्थ बजट का 25 फीसदी किया जाए। उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष के लिए 67, 112 करोड़ रुपए का प्रावधान हेल्थ बजट के लिए किया गया था जो कि जीडीपी का है जबकि आयुष चिकित्सा पद्धतियों के लिए मात्र 1, 939 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जो कि हेल्थ बजट का लगभग 3 फीसदी है। डॉ. त्यागी व डॉ. पाराशर ने कहा कि कोरोना संक्रमण से सफलतापूर्वक निपटने के दौरान आयुर्वेद व अन्य आयुष चिकित्सा पद्धतियों के महत्व को सब ने स्वीकार किया और अनुभव किया कि देश की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के हल के लिए हेल्थ बजट के साथ-साथ आयुष बजट में भी पर्याप्त वृद्धि की आवश्यकता है। डेंगू, चिकनगुनिया जैसे वायरस जन्य रोगों का अभी तक एलोपैथी में कोई इलाज नहीं है, टी.बी. जैसे बैक्टीरिया जनित रोगों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है और डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर जैसे जीवनशैली रोगों के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं जिन से निपटने के लिए आयुष पद्धतियों के माध्यम से रिसर्च की आवश्यकता है। शिशु मृत्यु दर 29.848 प्रति 1000 है जबकि प्रसूति मृत्यु दर 113 प्रति लाख है जिसे आयुष चिकित्सकों की भागीदारी सुनिश्चित करने पर ही निश्चयात्मक रूप में कम किया जा सकता है। ‘सबके लिए स्वास्थ्य’ के लक्ष्य को पाना अकेले एलोपैथी के बूते संभव नहीं है। डॉ. त्यागी व डॉ. पाराशर ने कहा कि आयुष चिकित्सा पद्धतियों को चिकित्सा की मुख्य धारा में शामिल करना समय की मांग है जिसके लिए आयुष पद्धतियों के लिए बजट आवंटन को बढ़ाना भी आवश्यक है।
आयुष बजट बढ़ाने की मांग की युवराज त्यागी नें
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