नई दिल्ली, नगर संवाददाता: कृषि कानूनों के विरोध में सिंघु बॉर्डर पर 33 दिन से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। केंद्र सरकार की ओर से बार-बार समझाने के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं हैं। इस बीच बाहरी दिल्ली के बुराड़ी इलाके में किसानों ने बुराड़ी मैदान में प्याज की बुवाई की है। हालांकि, यह सांकेतिक ही है, लेकिन किसानों के रुख से लगता है कि वह बुलंद इरादे से यहां जमे हैं। वहीं, बुराड़ी में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने निरंकारी समागम मैदान का नाम बदलकर किसानपुर कर दिया है। एक प्रदर्शनकारी का कहना है कि हम यहां पर पिछले 33 दिनों से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन स्थल किसी गांव की तरह हो चुका है, इसलिए हमने इसका नाम ‘किसानपुर’ कर दिया है।
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार साफ-साफ कह चुके हैं कि कानून को वापस नहीं लिया जाएगा। इसके बावजूद किसान जिद पर अड़े हैं। रविवार को प्रधानमंत्री ने वर्ष 2020 की आखिरी मन की बात कही। सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर मन की बात का विरोध किया। सोनिपत की ओर किसानों ने ताली और थाली बजाकर भी मन की बात का विरोध किया।
बता दें कि मंगलवार को सुबह 11 बजे किसान संगठनों की केंद्र सरकार के बातचीत प्रस्तावित है। माना जा रहा है कि किसान संगठनों की कुछ बातों पर केंद्र गंभीरता से विचार करेगी। ऐसे में सभी की नजरें मंगलवार को होने वाली किसानों और सरकार के बीच बातचीत पर लगी हैं।
वहीं हरियाणा के पलवल जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल रहा किसान आंदोलन 25वें दिन भी जारी रहा। धरने पर बैठे किसानों ने ताली-थाली बजाकर प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम पर विरोध जताया तो पांचवें दिन 11 किसानों ने क्रमिक अनशन के तहत भूख हड़ताल की। शुक्रवार को किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए आप के राज्यसभा सदस्य सुशील गुप्ता पहुंचे। कांग्रेस नेता करण सिंह दलाल व रघुबीर सिंह तेवतिया तेवतिया पाल के साथ ट्रैक्टर रैली निकालकर आंदोलनरत किसानों को समर्थन देने पहुंचे।