नई दिल्ली, नगर संवाददाता: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने साढ़े तीन हजार विदेशी नागरिकों से करीब 70 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले 42 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनमें 16 महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस ने शनिवार तड़के पीरागढ़ी में संचालित फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर साढ़े चार लाख की नकदी और 90 डेस्कटॉप बरामद किए हैं। गिरफ्तार रजत, गगन, प्रशांत, एमी और लूसी गिरोह के प्रमुख आरोपी के रूप में सामने आए हैं।
साइबर सेल के डीसीपी अन्येष राय ने बताया कि एसीपी आदित्य गौतम की देखरेख में गठित टीम को पीरागढ़ी इलाके में फर्जी कॉल सेंटर की सूचना मिली थी, जहां से विदेशी नागरिकों से ठगी की जा रही थी। पुलिस टीम ने शनिवार तड़के संबंधित इमारत में छापा मारा तो वहां 42 लोग कॉल करते हुए पाए गए। आरोपी अमेरिका और कनाडा के नागरिकों को फर्जी अधिकारी बनकर फोन करते थे और उन्हें डराकर बैंक खाते की जानकारी लेकर रुपये उड़ा लेते थे।
गिरफ्तार सभी पांच मुख्य आरोपी कॉल सेंटर में काम कर चुके हैं। बाद में ये नौकरी छोड़कर ठगी करने लगे। आरोपी ठगी के लिए कॉल सेंटर के पूर्व कर्मचारियों की भर्ती करते थे। हालांकि इसके लिए किसी अन्य आरोपी की अनुशंसा जरूरी होती है। साक्षात्कार के बाद अंतिम चयन किया जाता था। कॉल सेंटर में काम करने वाले लोगों को प्रति माह 20 से 25 हजार रुपये वेतन के रूप में मिलते थे। टीम लीडर को 40 से 50 हजार और शिफ्ट मैनेजर को एक लाख रुपये का वेतन दिया जाता था। इसके अलावा एक डॉलर की कमाई करने पर दो रुपये कमीशन के तौर पर दिया जाता था। पुलिस ने आरोपियों से साढ़े चार लाख की नकदी बरामद की है, जिसका इस्तेमाल सप्ताहांत अवकाश के भत्ते के तौर पर बांटने के लिए किया जाने वाला था।
साइबर सेल के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत में जैसे आधार नंबर है, उसी तरह अमेरिका-कनाडा में सोशल सिक्योरिटी नम्बर (एसएसएन) प्रचलन में है। इससे बैंक खाते आदि जुड़े रहते हैं और इसकी मदद से कल्याणकारी योजनाओं के लिए लाभार्थियों का चयन किया जाता है। आरोपी शख्स कॉल सेंटर से विदेशी नागरिकों को फोन कर खुद को सामाजिक सुरक्षा प्रशासन, नारकोटिक्स और यूएल मार्शल सर्विस का अधिकारी बताते हुए कहते थे कि मैक्सिको के ड्रग्स तस्कर के ठिकाने पर छापे के दौरान उनका एसएसएन मिला है और वे बैंक खाते को फ्रीज कर देंगे। ठग लोगों को गिरफ्तार करने और कोर्ट में मुकदमा चलाने की धमकी भी देते थे। पीड़ित के डरते ही आरोपी उससे उसके बैंक खाते में मौजूद रकम से बिटक्वाइन खरीदकर उनके बताए खाते में ट्रांसफर करने को कहते थे। बाद में आरोपी बिटक्वाइन को नकदी में बदल लेते थे।