जालौन, नगर संवाददाता: ऐतिहासिक और पौराणिक धरोहरों के कारण हिन्दू धर्माचार्यो द्वारा उप काशी का दर्जा प्राप्त जालौन जिले में स्थित घनी आबादी वाले कालपी कस्बे में बस अड्डे का दशकों पुराना इंतजार प्रशासनिक उदासीनता के चलते अभी खत्म नहीं हो सका है।
सूर्य मंदिर,पांडवकालीन मंदिर,बीरबल का किला,झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की गुफा और वेद व्यास की जन्मस्थली के तौर पर विख्यात कालपी को अंग्रेजी शासनकाल में गेट वे आफ वेस्ट इंडिया यानी पश्चिम भारत के द्वार के रूप में मान्यता दी जाती थी।
दर्जनों धार्मिक स्थल और पर्यटक स्थल होने के बावजूद यह पौराणिक नगरी आज भी परिवहन विभाग की नजरों में नहीं आ सकी है जिसका उदाहरण है कि यहां बस स्टैंड का निर्माण आजादी के बाद से अब तक नही कराया गया जिससे यात्रियों को खुले आसमान के नीचे बसों की प्रतीक्षा करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के गठन के बाद 60 के दशक में रोडवेज बसों के ठहराव एवं टिकट बुकिंग के लिए कालपी के टरननगंज बाजार में एक शिक्षण संस्थान के भवन को चुना गया था और वहां बाकायदा संचालन भी शुरू हो गया था लेकिन करीब 20 साल पहले किराये के भवन को खाली करा लिया गया तथा स्टाप को उरई ऑफिस में अटैच कर दिया गया।
दो दशकों से यहां रोडवेज बसों के ठहराव का कोई स्थल नहीं है। झांसी-कानपुर हाइवे बाईपास मार्ग से रोडवेज की बसे फर्राटा भरते हुए निकल जाती है।
हाइवे बाईपास के किनारे अपने गंतव्य तक पहुँचने के लिए चिलचिलाती धूप,लपट, बरसात के मौसम में बच्चें, महिलाये यात्री बसों की प्रतीक्षा करते रहते हैं। जैसे ही हाइवे में कोई भी रोडवेज बस रुकती है तो सवारियां के उतरने तथा चढ़ने की अफरातफरी मच जाती है।
समाजवादी पार्टी (सपा) नेता शिव बालक सिंह यादव बताते हैं कि यात्रियों की कठिनाइयों पर परिवहन निगम तथा विभाग उदासीन है और सरकार की उदासीन रवैय की सुख सुविधा के लिए संवेदनहीन है।
नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि जगजीवन अहिरवार ने बताया कि यात्रियों की परेशानियों को मद्देनजर रखकर नगर पालिका प्रशासन के द्वारा फुलपावर बाईपास चैराहे के समीप छह माह पहले यात्री प्रतीक्षालय, पेयजल के लिए फ्रीजर मशीन तथा शौचालय निर्माण का काम शुरू कराया गया था लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकारियों ने काम को रुकवा दिया।