नई दिल्ली/नगर संवाददाता : सहकारी क्षेत्र के पीएमसी बैंक घोटाले से उठे विवादों के बीच केंद्र सरकार बैंक खातों में रखे धन पर बीमा गारंटी की सीमा बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक रखा जा सकता है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी। सीतारमण ने कहा कि बैंक जमा एवं ॠण गारंटी निगम अधिनियम योजना के तहत मौजूदा संरक्षण को वर्तमान में एक लाख रुपए की सीमा से ऊपर किया जाएगा।
वित्तमंत्री ने यह नहीं बताया कि बैंक जमा पर बीमा सुरक्षा की नई सीमा कितनी होगी। एक लाख रुपए की सीमा 1993 में तय की गई थी जिसे महंगाई और आयकर छूट की सीमा में बढ़ेतरी आदि को देखते हुए बढ़ाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों को नियमन के दायरे में लाने के मामले में मंथन जारी है। सहकारी बैंकों को भी नियमन के लिहाज से बैंकिंग नियमन कानून के दायरे में लाया जा सकता है। इस संबंध में तमाम संबंधित कानूनों पर गौर किया जा रहा है और उम्मीद है कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल इस बारे में विधेयक को जल्द मंजूरी देगा और इसे संसद के आगामी सत्र में ही पेश किया जा सकेगा।
जमा बीमा और ॠण गारंटी निगम कानून 1961 में अस्तित्व में आया। इसके तहत गठित निगम रिजर्व बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है। इसकी स्थापना जुलाई 1978 में हुई थी। किसी बैंक के धराशायी होने की स्थिति में यह निगम बैंकों के जमा धारकों को उनकी जमा राशि पर एक लाख रुपए तक की गारंटी देता है। 1993 में संशोधन के बाद जमा गारंटी राशि को बढ़ाकर एक लाख रुपए किया गया था।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों से नकदी उपलब्ध कराए जाने के संबंध में वित्तमंत्री ने कहा, अगले सप्ताह बैंकों के साथ बैठक बुलाई गई है। सभी बैंकों से आंकड़े मंगवाए गए हैं। रिजर्व बैंक से भी इस बारे में जानकारी मांगी गई है। तभी इस संबंध में स्पष्ट तौर पर जानकारी प्राप्त हो सकेगी। वित्तमंत्री से पूछा गया था कि सरकार ने एनबीएफसी को बैंकों से तरलता उपलब्ध कराने की पहल की थी अब तक कितनी नकदी एनबीएफसी तक पहुंची है। ऐसी रिपोर्टें हैं कि ऊंची रेटिंग वाली एनबीएफसी को ही बैंकों से नकदी प्राप्त हो पाई है।
दूरसंचार कंपनियों की वित्तीय स्थिति पर बढ़े दबाव के बाद किसी बैंक से उनके कर्ज की किस्त नहीं लौटाए जाने के बारे में शिकायत के बारे में पूछे जाने पर वित्तमंत्री ने कहा कि उनके समक्ष ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है। दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय संकट पर वित्तमंत्री ने कहा, हम नहीं चाहते कोई कंपनी अपना परिचालन बंद करे। हम चाहते हैं कि कोई भी कंपनी हो वह आगे बढ़े।
उल्लेखनीय है कि दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों वोडाफोन.आइडिया और एयरटेल ने दूसरी तिमाही के परिणाम में भारी घाटा दिखाया है। वोडाफोन ने जहां दूसरी तिमाही में 50 हजार करोड़ रुपए से कॉर्पोरेट इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा तिमाही घाटा दिखाया है वहीं एयरटेल ने इस दौरान 23 हजार करोड़ रुपए से अधिक का तिमाही घाटा बताया है। दोनों कंपनियों को कुल मिलाकर दूसरी तिमाही में 74,000 करोड़ रुपए से अधिक का घाटा हुआ है।
विनिवेश के मुद्दे पर वित्तमंत्री ने कहा कि एयर इंडिया सहित विनिवेश की सभी योजनाएं आगे बढ़ रही हैं। चीजें तेजी से आगे बढ़ रही हैं। अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। फिलहाल यही कहा जा सकता है कि हम आगे बढ़ रहे हैं। कुछ समय बाद चीजें अधिक स्पष्ट हो सकेंगी।