अंबाला (बराड़ा), जयबीर सिंह : हरियाणा के सुदूर गांवों तक इसकी आहट पहुंची है। गांवों में बसे अभिभावक नई पीढी के भविष्य को लेकर चिंतित है उन्हें मालूम है कि नशे का जाल अपनी जकड बना चुका है। इसलिए कानून को लागू करने वाली पुलिस और अन्य एजेंसियों से गुहार कर रहे है कि उनके बच्चों को नशे की गिरफ्त से निकालो। उत्तरी हरियाणा के कैथल, अंबाला, करनाल, यमुनानगर जिलों में नशे की लत अपना बदरूप चेहरा लेकर खडी है। इन जिलों के सुदूर गांवों तक नशीले पदार्थों की तस्करी और इनका सेवन आम हो गया है। अभिभावकों की सबसे बडी पीडा तो यह है कि यह सब पुलिस प्रशासन के देखते हुए हो रहा है। अंबाला जिले के हल्का मुलाना के गांव थम्बड, बराडा, अघोया और उगाला के ग्रामीण इस बात की पुष्टि करने के लिए बताते हैं कि वे कई बार इस समस्या को दूर करने के लिए पुलिस प्रशासन के अधिकारियों से मिले है और बराडा थानाधिकारी को लिखित शिकायत दी गई है लेकिन कोई समाधान नहीं किया गया। थानाधिकारी बराडा कहते हैं कि नशीले पदार्थ बेचने वालों को समझा दिया गया है और जल्दी ही नतीजे सामने आयेंगे। अंबाला जिले के कुछ गांवों के लोगों ने प्रशासन तक पहुंचकर अपनी बेचैनी बताते हुए अपेक्षा की है कि समाज को ही निगल जाने वाली इस समस्या से छुटकारा पाने का उपाय समय रहते किया जाए। आम लोगों की यह चिता मनोचिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञ लम्बे समय से व्यक्त करते आ रहे है। इन विशेषज्ञों की राय के अनुसार भले ही पंजाब में नशे का संकट एक सियासी मुद्दा बनने से अधिक प्रचार पा रहा है लेकिन हरियाणा में भी यह समस्या लगभग बराबर पर है। नशा मुक्ति के लिए काम करने वाले विशेषज्ञ कई बार आगाह कर चुके हैं कि नशे की बढती लत व्यक्तियों को ही नहीं परिवारों को भी तबाह कर रही है। विशेषज्ञ इस मामले में आनुवांशिकी का हवाला भी देते है। वे कहते हैं कि यदि पिता को नशे की लत है तो संतान के भी नशे की लत में पडने की संभावनाएं बहुत अधिक होंगी। केन्द्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय की ओर से करीब दो साल पहले राज्यों में नशे के प्रभाव के बारे में एक रिपोर्ट संसद में पेश की गई थी। इस रिपोर्ट में बताया गया था कि वर्ष 2014 में पंजाब में नशे के कारण मात्र 38 लोगों ने आत्महत्या की लेकिन हरियाणा में कहीं ज्यादा 86 लोगों ने आत्महत्या की। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने यह डाटा नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरों से लिया था। नेशनल क्राइम रिकाॅर्ड ब्यूरो के अनुसार देश में वर्ष 2014 में नशे की लत के कारण रोजना दस लोगों ने आत्महत्या की। इनमें पंजाब में रोजाना एक व्यक्ति ने आत्महत्या की। इस वर्ष देशभर में नशे के कारण कुल 3647 लोगों ने आत्महत्या की। इनमें से महाराष्ट् में सबसे अधिक
1372 लोगों ने आत्महत्या की। इसके बाद तमिलनाडु में 552 केरल में 475 लोगों ने आत्महत्या की थी।
आगामी 26 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित नशा विरोधी दिवस
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