दलित समाज ने SDM बराड़ा को भारत सरकार के नाम सौंपा ज्ञापन

News Publisher  

uu
बराड़ा, गुरप्रीत सिंह : एससीएसटी एक्ट में बदलाव तथा विश्वविद्यालय के स्वायत्तता के नाम पर निजीकरण के विरोध में सभी सामाजिक, धार्मिक, सरकारी, गैर सरकारी एससीएसटी व ओबीसी संगठनों के द्वारा भारत बंद के तहत बराड़ा में भी सभी संगठनों ने बराड़ा बंद का आवाहन कर अनाज मंडी बराड़ा मे से हजारों की संख्या में एकत्रित होकर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। अनाजमंडी से शुरू होर प्रदर्शन कारी एसडीएम कार्यालय पहुंचे। प्रदर्शन कारियों ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी व सीएम खट्टर मुर्दाबाद व जय भीम ङ्क्षजंदाबाद के नारे लगाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भारत के सभी एससी सांसद व विधायक को का पुतला फुक एसडीएम बराड़ा को महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार, माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार चेयरमैन अनुसूचित जाति जनजाति आयोग माननीय केंद्रीय मंत्री कानून एवं न्याय भारत सरकार के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें पूरे भारत में जातीय आधार पर अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के गरीब लाचार वह कमजोर व्यक्तियों के ऊपर मनुवादी लोग सदियों से अत्याचार करते आए हैं और यह अत्याचारों का सिलसिला पूरे देश में अब भी जारी है जातीय आधार पर सदियों से किए जा रहे अत्याचार पर रोक थाम के लिए तत्कालीन केंद्र सरकार को सरकार ने अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम एससी एसटी एक्ट 1989 बना कर लागू किया था। उपरोक्त एक्ट लागू होने के बावजूद भी सच्चाई यह है कि इन वर्गों के ऊपर जातीय आधार पर मनुवादियों द्वारा जब जुल्म और अत्याचार किया जाता है तो अधिकांश मामले में कोई विरोध भी नहीं कर पाता है जिससे कभी भी तो होकर इस वर्ग का पीडित व्यक्कित अत्याचार सहकर भी घर बैठ जाता है और यदि हिम्मत करके पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखवाने चला जाता है तो एक बार में पुलिस उसकी रिपोर्ट तक दर्ज नही करती। बल्कि उसे डरा धमका कर भगा दिया जाता है। यदि मिननत करने पर अगर रिपोर्ट दर्ज कर भी जी जाती है तो एससीएसटी एक्ट नही लगाते। यदि एक्ट लगा भी दिया जाता है तो अधिकारी द्वारा निष्पक्ष जांच न करके अन्तिम रिपोर्ट लगाते हुए मुकदमा रफा दफा कर दिया जाता है। यदि किन्ही गंभीर ममालो में अदालत में अपराधियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी जाती है तो मुकदमे के गवाहों को लालच देकर गया डरा धमका कर तोड़ दिया जाता दलित समाज के लोगों द्वारा इस एक्ट का दुरुपयोग नहीं हो रहा है बल्कि यह एक निष्पक्ष और प्रभावी रूप से अधिकारियों द्वारा लागू न हो पाने के कारण अधिकांश मुकदमों में अपराधियों को सजा नहीं मिल जाती है। परिणाम स्वरुप इन वर्गों के ऊपर जातीय आधार पर अत्याचार निरंतर जारी है अपराध और अपराधी को गिरफ्तार पुलिस अधीक्षक अनुमति के आदेश पारित करने से इन वगों के उपर ओर अधिक अत्याचार निश्चित रूप से बढ़ेगे तत्था पूरे देश में भय की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *