नई दिल्ली/नगर संवाददाताः सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ), समितियों और स्वैच्छिक संगठनों के कोष और उनके उपयोग की निगरानी के लिए कोई नियामक व्यवस्था नहीं होने के लिए मंगलवार को केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति एन वी रमण और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने ग्रामीण विकास सचिव और ग्रामीण विकास मंत्रालय के अंतर्गत कापार्ट के निदेशक को मंगलवार दोपहर को ही सारे संबंधित रिकार्ड के साथ तलब किया है। पीठ ने इन अधिकारियों से कहा है कि वे सूचित करें कि क्या 2009 के बाद इन गैर सरकारी संगठनों का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने ऑडिट किया है या नहीं। पीठ ने यह भी जानना चाहा है कि क्या वित्त मंत्रालय की ओर से बनाए गए 2005 के वित्तीय नियमों पर अमल हुआ है या नहीं? स्थानीय अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की जनहित याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में गैर सरकारी संगठनों को दिए गए धन और इन रकम के हो रहे उपयोग की निगरानी की व्यवस्था का अनुरोध किया गया है।
एनजीओ के फंड की निगरानी नहीं होने पर केंद्र से खफा हुआ सुप्रीम कोर्ट
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