नई दिल्ली। एयर इंडिया की खराब फाइनैंशल सेहत पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए इस बात पर नाराजगी जताई कि प्रॉफिटेबल रूट्स प्राइवेट एयरलाइंस को दे दिए जाते हैं। अदालत ने सरकार से एयरइंडिया के लिए टर्नअराउंड प्लान पेश करने को कहा गया है।
जस्टिस विक्रमजीत सेन और कुरियन जोसेफ की बेंच ने कहा, प्राइवेट एयरलाइंस को आकर्षक रूट क्यों दिए गए हैं। अदालत ने प्राइवेट एयरलाइंस के मुकाबले एयर इंडिया के पिछड़ने पर चिंता जताई। बेंच के मुताबिक, सिविल एविएशन मिनिस्ट्री उन तमाम मसलों पर विचार करे, जिससे नेशनल एयरलाइंस को नुकसान हो रहा है। पीक लैंडिंग आवर के वक्त प्राइवेट एयरलाइंस को तवज्जो दी जाती है, जबकि एयर इंडिया के विमान घंटों तक आकाश में उड़ते रहते हैं, जिससे पैसे और फ्यूल का जबरदस्त नुकसान होता है
कोर्ट ने कहा, हालात ऐसे हो गए हैं, जहां प्राइवेट एयरलाइंस में सफर के बाद अगर कोई शख्स एयर इंडिया की फ्लाइट में चढ़ता है, तो वह यह सोचता है कि मैंने यह फ्लाइट क्यूं ली। हमें यह कहते यह खेद हो रहा है, लेकिन हालात वाकई में काफी खराब हैं। फाइनेंशियल लॉस पर पहले से ही काफी चर्चा हो रही है और पैसेंजर्स की असंतुष्टि की बात भी किसी से छिपी नहीं है।
कोर्ट के मुताबिक, विडबंना यह है कि एयर इंडिया नुकसान वाले रूट्स पर फोकस कर रही है, जबकि कई प्रॉफिटेबल रूट्स प्राइवेट एयरलाइंस को दिए जा रहे हैं। कृपया यह सोचिए कि एयरलाइंस का टर्नअराउंड कैसे किया जाए। अगर यही सिलसिला चलता रहा तो एयरलाइन खत्म होने के कगार पर पहुंच जाएगी।
अदालत ने यह टिप्पणी एअर इंडिया मैनेजमेंट और वर्कर्स यूनियन से जुड़ी बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए की। बॉम्बे हाई कोर्ट का यह आदेश इंडियन एयरलाइंस और एअर इंडिया के विलय पर जस्टिस धर्माधिकारी की रिपोर्ट के बाद उपजे विवादों के मद्देनजर आया था। केंद्र सरकार और एअर इंडिया की तरफ से अटॉर्नी जरनल मुकुल रोहतगी अदालत में पेश हुए।
हाई कोर्ट ने वर्कर्स की 75 फीसदी सैलरी से जुड़े मसलों पर आदेश देते हुए मर्जर के बाद सैलरी और भत्तों में कमी को लेकर यूनियनों को सेंट्रल गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल ट्राइब्यूनल में जाने को कहा था। हाई कोर्ट ने 27 जनवरी के अपने ऑर्डर में इंडियन एयरलाइंस और एअर इंडिया के मर्जर पर धर्माधिकारी रिपोर्ट को लागू करने पर रोक लगाने से मना कर दिया था।