इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को बड़ा झटका देते हुए संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि उन्होंने साल 2007 में आपातकाल लगाया था और वह संविधान के उल्लंघन के दोषी हैं। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने विशेष अदालत को गुरुवार को सूचित किया कि 71 साल के मुशर्रफ को निश्चित तौर पर घोर राष्ट्रद्रोह का दोषी ठहराया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति फैसल अरब की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने संघीय शरिया अदालत की इमारत में मुशर्रफ के खिलाफ घोर राष्ट्रद्रोह के मामले की सुनवाई की। एफआईए के जांच दल के प्रमुख खालिद कुरैशी अदालत में अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में उपस्थित हुए। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को अंतरिम संवैधानिक आदेश (पीसीओ) बतौर राष्ट्रपति जारी किया था।
पीसीओ एक आपातकालीन और संविधान से इतर आदेश है जिसके तहत पाकिस्तानी संविधान को आंशिक रूप से अथवा पूरी तरह निलंबित कर दिया जाता है। कुरैशी ने कहा कि एफआईए का जांच दल इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि मुशर्रफ संविधान का उल्लंघन करने के दोषी हैं।
कुरैशी ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने मुशर्रफ से इस्लामाबाइद के बाहरी इलाके चक शहजाद स्थित उनके फार्महाउस पर 6 दिसंबर, 2013 को पूछताछ की थी। उस वक्त उनके साथ एफआईए के जांच दल के दूसरे सदस्य हुसैन असगर भी उपस्थित थे। कुरैशी ने बताया कि पूछताछ के दौरान मुशर्रफ को 3 नवंबर, 2007 को जारी आपात आदेश, पीसीओ और न्यायाधीशों को हटाने से जुड़े दस्तावेज दिखाए गए तो मुशर्रफ ने इन पर कुछ भी कहने से मना कर दिया।
उन्होंने कहा कि कई संस्थाओं, व्यक्तियों के बयान सुनने और सबूत की समीक्षा करने के बाद जांच दल इस निष्कर्ष तक पहुंचा कि इन कदमों के लिए मुशर्रफ जिम्मेदार हैं और इसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। मुशर्रफ को संविधान का उल्लंघन करने के मामले में बीते 31 मार्च को आरोपी बनाया गया था। इसी साल जून में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने मुशर्रफ पर यात्रा के प्रतिबंध को हटाने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया था।
मुशर्रफ चार साल से अधिक समय तक स्वनिर्वासन में रहने के बाद आम चुनाव से ठीक पहले पिछले साल मार्च में पाकिस्तान लौटे थे। उन पर राष्ट्रद्रोह सहित कई मामले हैं। वह पाकिस्तान के पहले सैन्य शासक हैं जिनके खिलाफ अदालत में मुकदमा चलाया जा रहा है। दोषी करार दिए जाने पर उन्हें मौत की सजा हो सकती है।