फिरोजपुर, पंजाब, परेश कुमार: फिरोजपुर (परेश कुमार डिंपी) हाल ही में देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हुए हैं। जिसमे पंजाब को छोड़ कर सभी चार राज्यों में भाजपा अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही। वहीं पंजाब में इसके विपरीत आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री चेहरे सरदार भगवंत मान के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। पंजाब में पहली बार बनी आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा हर वर्ग को खुश रखने का रास्ता इतना आसान नहीं है। आज मुख्यमंत्री की शपत लेने के बाद सरदार भगवंत मान ने ठीक से ऑफिस भी नही संभाला होगा कि देश मे सामन्यवर्ग के हितों की लड़ाई लड़ती आ रही आरक्षण संघर्ष समन्वय समिति ने नवनियुक्त मुख्यमंत्री से पहल पर सामन्यवर्ग से संबंधित परिवारों के लिए सवर्ण आयोग की मांग कर डाली। हालांकि समिति ने उक्त मांग एक ई मेल द्वारा की है, लेकिन देखते ही देखते उक्त खबर शोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गई। गौरतलब हो की समिति द्वारा सवर्ण आयोग की मांग पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह व चन्नी सरकार से भी की थी। जिस पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार चरणजीत सिंह चन्नी ने जनरल कैटेगरी भलाई बोर्ड बना दिया था। लेकिन समिति द्वारा उक्त बोर्ड यह कहते हुए नकार दिया गया था की चन्नी सरकार द्वारा बनाया गए बोर्ड में ऐसी कोई क्षमता नहीं है जिससे बोर्ड सामान्य वर्ग का उद्धार कर सके। इस संबन्ध में समिति के राष्ट्रीय महासचिव व पंजाब प्रदेश प्रभारी साहिल गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति को इस बात की खुशी है कि पंजाब में पहली बार ऐसे लोगों की सरकार बनी है जो जमीनी स्तर से जुड़े हैं। गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता अभयकांत मिश्रा, श्री रामगोपाल शर्मा व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी डॉ ए के पांडेय के दिशा निर्देश पर पंजाब के नवनियुक्त मुख्यमंत्री को ईमेल द्वारा बधाई संदेश भेजा गया। जिसका नेतृत्व पंजाब प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने किया।
मेल में समिति द्वारा स्वीकार किया गया कि सवर्ण सांसदों सहित सवर्ण नेताओं ने सामन्यवर्ग की तरफ कभी ध्यान ही नही दिया। इतिहास गवाह है कि राजनीतिज्ञों ने हमेशा हिंदुओं को आपस में बांटने की ही राजनीति की है। अब पंजाब में जमीनी स्तर से जुड़े साधारण परिवारों से आए विधायकों की सरकार बनने से जहां सभी वर्गों की सुनवाई की उम्मीद जगी है, वहीं सामाजिक समरसता में भी नई जान आई है। साहिल गुप्ता ने कहा कि ई मेल संदेश में मुख्यमंत्री महोदय को अवगत करा दिया गया है की प्रदेश में आरक्षण व एस सी एस टी एक्ट के तहत सामन्यवर्ग के साथ अन्याय होता आ रहा है। देश भर में सामन्यवर्ग के लोगों पर किए गए बहुत से एस सी एस टी के पर्चे झूठे साबित हो रहे हैं, लेकिन सामन्यवर्ग की कोई सुनवाई नही हो रही है। साहिल गुप्ता ने स्पष्ट किया कि समिति को एस सी एस टी एक्ट या आरक्षण में कोई बदलाव नही चाहिए। बल्कि समिति तो खुद यह मानती है, कि कुछ सामान्य वर्ग के अमीरों के पैसे के दम पर ही सामन्यवर्ग के मध्यमवर्गीय व गरीबों पर एस सी एस टी एक्ट लगवा दिया जाता है। लेकिन सामन्यवर्ग के पास कोई अपना आयोग नही है, जहां सामन्यवर्ग अपने साथ हुई धक्केशाही की दुहाई दे सके।
गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि नवनियुक्त मुख्यमंत्री से जिस सवर्ण आयोग की मांग की गई है उक्त सवर्ण आयोग अधिकार सम्पन्न आयोग हो, जिसको सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के बराबर ताकत हो। सवर्णों (सामन्यवर्ग) के साथ होने वाले किसी भी प्रकार के विभेद पर संज्ञान ले सके और उच्च न्यायालय तक को कार्यवाही के आदेश दे सके। साथ ही आयोग को गरीब सवर्णों को संरक्षण देने तथा उँन्हे वित्तीय सहायता प्रदान करने का भी अधिकार हो। आयोग की इकाइयां प्रदेश और जिला स्तर पर हों तथा आयोग अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु स्वैच्छिक संगठनों का सहयोग ले सके। श्री गुप्ता ने कहा कि उक्त आयोग सामान्य वर्ग के लोगों पर 70 साल से लग रहे जख्मों पर एक छोटी सी मरहम का काम करेगा, लेकिन इसे पूर्ण हक़ भी नही माना जा सकता। साहिल गुप्ता ने कहा कि हमे पूरी उम्मीद है कि प्रदेश के नए मुख्यमंत्री सवर्ण आयोग की मांग को मान कर राज्य के सामन्यवर्ग के साथ न्याय करेंगे। यदि ऐसा ना हुआ तो मजबूरन समिति को सामन्यवर्ग को साथ लेकर संघर्ष का रास्ता अपनाना होगा। जिसकी सारी जिम्मेदारी पंजाब सरकार की रहेगी।
पंजाब के नवनियुक्त मुख्यमंत्री भगवंत मान को आ.स.स.स. के नेतृत्व में सवर्णों ने बधाई देने के साथ ही कर डाली सवर्ण आयोग की मांग।
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