नई दिल्ली, नगर संवाददाता: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के शोधकर्ताओं ने प्रोटीन समूहों और समुच्चय के निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण जैव-आणविक तंत्र की खोज की है जो अक्सर अल्जाइमर रोग में देखा जाता है।
आईआईटी मंडी, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, ब्रिटेन और दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय, अमेरिका के शोधकर्ताओं की एक अंतर-संस्थागत टीम ने एपीपी प्रोटीन के ‘सिग्नल पेप्टाइड’ के एकत्रीकरण स्वरूप का अध्ययन किया।
‘सिग्नल पेप्टाइड’ एक कोशिका को प्रोटीन को स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित करने का कार्य करते हैं, आमतौर पर सेलुलर झिल्ली में।
शोध दल के निष्कर्ष हाल में ‘सेल रिपोर्ट्स फिजिकल साइंस’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया कि ‘एमिलॉयड प्रीकर्सर प्रोटीन’ (एपीपी) सिग्नल पेप्टाइड अन्य पेप्टाइड्स के साथ मिलकर एमिलॉयड बीटा पेप्टाइड (एबी42) जैसे समुच्चय बना सकता है जो कोशिकाओं के बाहर जमा होता है और रोगों का कारण बनते हैं।
अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सबसे आम प्रकार है, और यह समय के साथ स्मृति और अन्य आवश्यक मानसिक कौशल को प्रभावित करता है। पचास से अधिक बीमारियां हैं जो प्रोटीन एकत्रीकरण से जुड़ी हैं।
स्कूल ऑफ बेसिक साइंसेज, आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर रजनीश गिरि ने कहा, ‘‘एपीपी में अब तक केवल एबी” क्षेत्र को विषाक्त समुच्चय बनाने के लिए जाना जाता था। यहां, हमने पाया कि एमिलॉयड प्रीकर्सर प्रोटीन का सिग्नल पेप्टाइड न केवल कोशिका को नुकसान पहुंचाने वाला समुच्चय बनाता है, बल्कि एबी42 पेप्टाइड के एकत्रीकरण को भी बढ़ाता है।’’
आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने अल्जाइमर रोग में देखे जाने वाले जैव-आणविक तंत्र का पता लगाया
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