दिल्ली की ‘गंदी-जहरीली’ हवा ने महिला को वेंटिलेटर पर पहुंचाया, दवा भी हुई फेल

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दिल्ली, नगर संवाददाता: 55 साल की एक महिला 20 साल से अस्थमा के मरीज है। दवा से कंट्रोल में रहता था अस्थमा। लेकिन इस बार की हवा में दवा से अस्थमा कंट्रोल नहीं हो रहा है। दिक्कत इतनी बढ़ गई है कि अस्पताल में एडमिट करना पड़ा। स्थिति में फिर भी सुधार नहीं हुआ तो पहले आईसीयू में एडमिट किया और अब वो वेंटिलेटर स्पोर्ट पर चली गईं हैं। यही नहीं, डॉक्टर का कहना है कि इस बार ओपीडी में युवा मरीज तो आ ही रहे हैं, कम से कम हर ओपीडी में रोजाना 10 से 15 पर्सेंट नए मरीज आ रहे हैं, जिन्हें पहले कभी सांस फूलने की बीमारी नहीं थी।
बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रेस्पिरेटरी विभाग के डॉक्टर संदीप नय्यर ने बताया कि प्रदूषण ने तो बुरा हाल कर रखा है। ओपीडी में तो मरीज बढ़ ही गए हैं, अब इसकी वजह से मरीज को एडमिट करना पड़ रहा है। डॉक्टर संदीप ने कहा कि एक 55 साल की महिला है। हमारी पुरानी मरीज है। इस बार उनकी हालत बहुत खराब हो गई है। दिवाली के बाद से ही उन्हें दिक्कत शुरू हो गई थी। दवा से कंट्रोल ही नहीं हो रहा है तो उनको एडमिट किया। इलाज चल रहा है, लेकिन फिर भी आराम नहीं हुआ तो आईसीयू में रखा। परेशानी कम नहीं हुई तो अब वेंटिलेटर स्पोर्ट देना पड़ा है।
सांस की वजह से पहली बार एडमिट हुआ युवक, निकला अस्थमाआकाश हेल्थकेयर के पल्मोलॉजिस्ट डॉ अक्षय बुधराजा ने कहा कि उनके यहां एक युवा मरीज को सांस में दिक्कत की वजह से इलाज के लिए एडमिट करना पड़ा। मरीज को 31 अक्टूबर को आकाश हॉस्पिटल की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। वह पहले से ही सांस फूलने, सूखी खांसी, गले में जलन से पीड़ित थे। एडमिट होने पर लगभग 2 दिन पहले ओरल दवाओं से उनकी समस्या में कोई कमी नहीं आई।
मरीज को नेबुलाइज्ड दवाएं, स्टेरॉयड शॉट और ऑक्सीजन सप्लीमेंट दिया गया। 4 नवंबर को इलाज के बाद होम ऑक्सीजन थैरेपी पर छुट्टी दे दी गई। उन्होंने कहा कि जांच करने पर पता चला कि एलर्जी और खराब हवा के कारण ब्रोन्कियल अस्थमा हो जाता है।