फसल अवशेषों को जलाने की बजाय खुंब उत्पादन करेंः वैज्ञानिक

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हिसार, नगर संवाददाता: हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान की ओर से आयोजित तीन दिवसीय मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित प्रशिक्षण गुरुवार को सम्पन्न हुआ। कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज एवं विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास के मार्गदर्शन में आयोजित इस प्रशिक्षण शिविर में प्रदेश भर के विभिन्न जिलों के प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण हासिल किया।
इस दौरान वैज्ञानिकों ने प्रतिभागियों को सफद बटन मशरूम के अलावा दूसरी मशरूम की प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए लोगों को जागरूक किया गया क्योंकि हरियाणा प्रांत में कृषि अवशेषों की कोई कमी नहीं है। केवल हरियाणा में लगभग 22 मिलियन टन गेहूं और धान का फसल अवशेष पैदा होता है। किसान अगर फसल अवशेषों को जलाने की बजाय मशरूम उत्पादन में प्रयोग करें तो न केवल किसान की आमदनी में इजाफा होगा बल्कि कुपोषण की समस्या से भी निजात मिलती है। साथ ही प्रदूषण की समस्या भी कम होती है और भूमि की उर्वरक क्षमता में बढ़ोतरी होती है। विश्वविद्यालय द्वारा किसानों तथा बेरोजगार युवक व युवतियों को मशरूम उत्पादन को कृषि विविधिकरण के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहन किया जा रहा है। वैज्ञानिकों ने बताया कि ढींगरी व दूधिया खुंबों में भी प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण व अमीनो एसिड इत्यादि प्रचुर मात्र में पाये जाते हैं। इन खुंबों में भी कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं जो शरीर में होने वाले रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। एचएयू के पौध रोग विभाग की मशरूम तकनीकी प्रयोगशाला में सफद बटन मशरूम, ढींगरी मशरूम, दूधिया मशरूम इत्यादि का बीज उपलब्ध रहता है और अपनी आवश्यकता के अनुसार खरीदा जा सकता है। संस्थान के सह निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने बताया की इस तरह के प्रशिक्षण लगातार आयोजित किए जा रहे हैं ताकि बेरोजगार युवक-युवतियों को अधिक से अधिक लाभ मिले। उन्होंने बताया कि दिनों-दिन लोगों में जागरूकता बढ़ रही है और बेरोजगार युवक-युवतियां स्वरोजगार स्थापित करने के लिए बेताब हैं। इसी कड़ी में एचएयू से प्रशिक्षण हासिल कर वे स्वरोजगार स्थापित कर स्वावलंबी बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। प्रशिक्षण के आयोजक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि डॉ. राकेश चुघ, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. डीके शर्मा, डॉ. भूपेंद्र सिंह, डॉ. मनमोहन ने प्रशिक्षणार्थियों को मशरूम उत्पादन को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी।