पांच राज्यों के चुनावों के मद्देनजर आरपीआई ने बनाई रणनीति

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नई दिल्ली, नगर संवाददाता: चुनाव आयोग के पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा होते ही राजनैतिक दल सक्रीय हो गए है। इसी के तहत रिपब्लिक पार्टी आफ इंडिया ने भी चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। आरपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की।

आरपीआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुनावी रणनीति पर चर्चा की।

आरपीआई के मीडिया सलाहकार इरफान शेख ने बताया कि पार्टी पाँचों राज्यों में चुनाव लड़ेगी। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुताबिक यदि भाजपा के साथ गठबंधन होता है तो बहुत ही अच्छा, अगर नहीं होता है तो कुछ सीटों पर चुनाव पार्टी लड़ेगी और अन्य सीटों पर नहीं भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि चार राज्यों में भाजपा की सरकार बनेगी। केरल में भी भाजपा की सरकार बनने की उम्मीद है। इस बावत श्री अठावले ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के लिए गठबंधन के लिए खुलकर बात की। श्री अठावले ने आठ से दस सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करने की पेशकश की है।

तीनों कृषि कानूनों पर पूछे एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मोदी सरकार किसान विरोधी नहीं है। लेकिन इन कानूनों को वापस नहीं लिया जा सकता। क्योंकि कानून संसद में बने है। कानूनों को वापस लेने से संसद गी गरिमा गिरेगी। कानूनों में संसोधन किया जा सकता है, जिसके लिए सरकार तैयार है। किसान नेता अपने आंदोलन से किसानों को पीड़ा दे रहे हैं।

आरक्षण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सरकार को क्षत्रियों को 15 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए। प्रत्येक भूमिहीन किसान व खेहितर मजदूर को 5 एकड़ जमीन दी जानी चाहिए। सामाजिक बराबरी और गरीबी खत्म करने के लिए यह आवश्यक है।

अठावले ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में मराठा, हरियाणा में जाट और यूपी में क्षत्रिय आरक्षण की मांग कर रहे हैं। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए। इसी तरह से भूमिहीनों के बीच सरकारी जमीन बांटी जानी चाहिए। सरकारी जमीन न होने पर जमीन खरीदकर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना से जातिवाद नहीं बढ़ेगा। इसलिए 2021 की जनगणना जातिगत आधार पर होनी चाहिए।

रामदास अठावले मानते हैं की राहुल गाँधी पर लोगों ने भरोसा करना छोड़ दिया है और प्रियंका के यूपी दौरे से कांग्रेस को ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला। राम विलास पासवान के स्वर्गवास के बाद एक मात्र दलित नेता रामदास अठावले हैं जिनके तरफ दलित उम्मीद भरी निगाह से देखते हैं। राज्य में हो रहें दलित उत्पीडन से प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी चिंतित हैं और इसी कारण अठावले की उत्तर प्रदेश यात्रा महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं। मायावती अपने पार्टी से हो रहे लगातार लोगों की पलायन को रोकने में आसमर्थ है और इसको एक अवसर के रूप में भी देखा जा रहा हैं।दृ इसी कारण मायावती और चंद्रशेखर आजाद को भी रामदास अठावले ने अपनी पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण भी दे डाला हैं। रामदास अठावले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों और योजनाओं का लाभ दलित और मुस्लमान तक पहुँचाने के लिये एक ब्रिज का काम कर रहे हैं।

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