नई दिल्ली, नगर संवाददाता: तीन नये कृषि कानूनों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति ने सोमवार को कहा कि उसने इन कानूनों पर मशहूर अकादमिक विद्वानों एवं कृषि पेशेवरों के साथ परामर्श किया। किसान इन कानूनों के विरोध में दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। समिति की यह अब तक की सातवीं बैठक है। तीन सदस्यीय यह समिति संबंधित पक्षों के साथ आमने-सामने और ऑलनलाइन विचार विमर्श कर रही है। एक बयान में समिति ने कहा कि उसने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए मशहूर अकादमिक विद्वानों एवं कृषि पेशेवरों के साथ चर्चा की। उसने कहा, ‘‘कुल सात मशहूर अकादमिक विद्वानों एवं इस क्षेत्र के पेशेवरों ने समिति के सदस्यों के साथ विस्तृत चर्चा में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हिस्सा लिया।’’ समिति के सदस्यों ने उनसे तीनों कृषि कानूनों पर अपने विचार रखने का अनुरोध किया। बयान में कहा गया है, ‘‘सभी पेशेवरों एवं विद्वानों ने विस्तार से अपने विचार एवं सुझाव रखे।’’ उच्चतम न्यायालय ने 12 फरवरी को तीनों विवादास्पद कानूनों के क्रियान्वयन पर दो महीने के लिए रोक लगा दी थी और समिति से संबंधित पक्षों के साथ विचार विमर्श करके दो महीने में रिपोर्ट देने को कहा था। खासकर पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान नये कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हुए दो महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं। उनका कहना है कि ये कानून उद्योगपतियों के पक्ष में हैं तथा वे मंडी प्रणाली को तबाह कर देंगे। केंद्र और किसान नेताओं के बीच 11 दौर की बातचीत के बाद भी गतिरोध बना हुआ है।
उच्चतम न्यायालय के पैनल ने कृषि पेशेवरों और विद्वानों के साथ चर्चा की
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