दिल्ली, नगर संवाददाता: चीन के साथ लगी सीमा पर तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लेह पहुंच गए हैं। वह दो दिन तक जम्मू कश्मीर और लद्दाख में ही रहकर सेना से हर अपडेट लेंगे। उनके साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे भी गए हैं।
ऐसे वक्त में जब बॉर्डर से चीनी सेना पीछे हट रही है, रक्षा मंत्री का लद्दाख में होना बेहद अहम है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर कई स्टैंडऑफ पॉइंट्स से चीनी सैनिक पीछे हटे हैं, लेकिन उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता। पुराने अनुभवों को देखते हुए पूरी सावधानी बरती जा रही है। सीमा तनाव के बीच रक्षा मंत्री का यह दूसरा लेह दौरा है, सेना भी चौकन्नी है।
अगले 10 दिन तक नजर रखेगी सेना भारत और चीन के बीच अगले दौर की कोर कमांडर लेवल मीटिंग तभी होगी जब चीनी सेना पहले पीछे हट जाएगी। अब अगले 10 दिन तक सेना वेरिफाई करेगी कि तय जगहों से चीन गया है या नहीं। उसी के बाद, 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिणी जिनझियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट चीफ मेजर जनरल लिउ लिन के बीच पांचवें राउंड की बात होगी।
फिलहाल पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स से डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया जारी है। 14 जुलाई की बातचीत में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने इन जगहों से पीछे हटने पर रजामंदी जताई थी, लेकिन फिलहाल राजनीतिक नेतृत्व से पूछा जा रहा है।
अभी बॉर्डर पर तैनात रहेगी भारी फोर्स
भारत 15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चीन पर रत्तीभर भरोसा करने को तैयार नहीं। उसका जोर डिसएंगेजमेंट के वेरिफिकेशन पर है। सेना ने गुरुवार को जो बयान जारी किया, उसमें भी ‘लगातार वेरिफिकेशन’ पर जोर दिया गया।
हालांकि बयान में ‘डी-एस्केलेशन’ का जिक्र नहीं था यानी फिलहाल एलएसी पर ‘रियर एरियाज’ में मौजूद सैनिक, टैंक, आर्टिलरी और भारी हथियार हटाने की योजना नहीं है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि डिसएंगेजमेंट प्रोसेस फेस-ऑफ या क्लोज-अप वाली जगहों पर हो रहा है। मंत्रालय ने साफ किया है कि भारत के दावे में कोई बदलाव नहीं है और एलएसी में एकतरफा बदलाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दो जगह डिसएंगेजमेंट, एक जगह पेंच
सूत्रों ने कहा कि गलवान घाटी में पैट्रोल पॉइंट 14 (पीपी-14) पर डिसएंगेजमेंट पूरा हो गया है। गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स एरिया में पीपी-15 और 17ए से भी चीनी सेना पीछे हटी है। दो-तीन किलोमीटर का एक टेम्प्रेरी नो-पैट्रोलिंग जोन बनाया गया है। पैंगोंग का उत्तरी किनारा अब भी फंसा हुआ है।
फिलहाल चीनी सेना सिर्फ फिंगर 4 से फिंगर 5 के बेच से हटी है। भारत चाहता है कि पीएलए करीब 8 किलोमीटर पीछे सिरजप स्थित अपने बेस तक वापस जाए। भारतीय सेना फिंगर 2 और फिंगर 3 के बीच मौजूद है।
तनाव वाली जगहों से इतर चिंता की बात ये है कि चीनी सेना लगातार डेप्संग में पैट्रोलिंग पॉइंट्स 10, 11, 12 और 13 तक जाने से भारत को रोक रही है। गलवान के उत्तर और अक्साई चिन के पश्चिम में स्थित यह इलाका रणनीतिक रूप से बेहद अहम है। भारत चाहता है कि इस इलाके में पूर्वस्थिति बहाल हो।
लद्दाख बॉर्डर पर रक्षा मंत्री राजनाथ, 10 दिन तक चीन की हर हरकत पर सेना रखेगी नजर
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