दिल्ली अग्निकांड : जिंदा बचे व्यक्ति ने सुनाई खौफनाक हादसे की दास्तां, आप कांप उठेंगे

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नई दिल्ली/नगर सवांददाता : दिल्ली के अनाज मंडी इलाके में अपने साथी कर्मियों के साथ सोए 32 वर्षीय फिरोज खान रविवार सुबह जब उठे तो उनके कमरे में आग की लपटें उठ रही थीं। उत्तरी दिल्ली के इस इलाके में हुई आग की घटना में 43 लोगों की मौत हो गई, हालांकि खान अपनी जान बचाने में कामयाब रहे।
उन्होंने कहा कि वे कमरे के दरवाजे के निकट सो रहे थे और आग लगने की खबर मिलते ही भागकर कुछ अन्य लोगों के साथ बाहर निकल आए। खान भवन की तीसरी मंजिल पर कैप बनाने की फैक्टरी में काम करते हैंं। घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा, जब मैं सोकर उठा तो देखा कि जिस कमरे में मैं सो रहा था, उसमें लपटें उठ रही हैं।

उन्होंने कहा, दरवाजा मुझसे लगभग 6 मीटर दूर था। मैंने मेरे करीब सो रहे अन्य कर्मियों को उठाया और हममें से 4 या 5 लोग दरवाजे के जरिए बाहर निकल आए। खान ने कहा कि दरवाजे से दूर सो रहे लोग आग में फंस गए और उन्हें नहीं पता कि वे बच पाए या नहीं।

बचावकर्मियों के अनुसार, बाहर निकलने के कई रास्तों और खिड़कियों के बंद होने से अंदर मौजूद लोगों को बाहर निकलने के लिए संघर्ष करना पड़ा। पुलिस और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अधिकतर मौतें दम घुटने के कारण हुईं, क्योंकि तड़के 5 बजे जब दूसरी मंजिल पर आग लगनी शुरू हुई तो लोग सो रहे थे। हादसे का शिकार हुए भवन के पास सुरक्षा मंजूरी नहीं थी।

उन्होंने कहा कि 150 दमकलकर्मी लोगों को भवन से बाहर निकालने में जुट गए। हालांकि 43 लोगों की मौत हो गई और 2 दमकल कर्मियों समेत कई लोग घायल हो गए। मोहम्मद आसिफ नामक व्यक्ति ने कहा कि बैग बनाने की फैक्टरी में काम करने वाले उसके भाई इमरान (32) और इकराम (35) घायल हो गए। इमरान और इकराम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के रहने वाले हैं।

आसिफ ने कहा, मैं भजनपुरा में रहता हूं। सुबह 6 बजे मुझे मुरादाबाद से फोन आया कि मेरे भाई घायल हो गए हैं। मैं अनाज मंडी पहुंचा लेकिन भारी पुलिसबल की तैनाती के बीच उन्हें नहीं ढूंढ पाया। पुलिस ने हमें बताया कि उन्हें अस्पताल ले जाया गया है, कौनसे अस्पताल यह हमें नहीं पता। हमने उन्हें यहां (एलएनजेपी अस्पताल) में ढूंढा, लेकिन यह नहीं पता चला कि उन्हें यहां लाया गया या नहीं। इसके अलावा अन्य लोग भी अपने प्रियजनों को अस्पतालों में खोज रहे थे।

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