चेन्नई/नगर संवाददाता: चेन्नई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित विलय से जिन बैंक कर्मचारियों के घरों में मानसिक तनाव व्याप्त हो गया था, उनके लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खुशियां लाईं हैं। उन्होंने साफ कहा कि विलय के इन निर्णयों से किसी एक कर्मचारी की भी नौकरी नहीं जाएगी। इसलिए उन्हें ज्यादा परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।
बैंक यूनियनों की चिंता तथ्यहीन: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के नए बयान से बैंक यूनियनों की चिंता भी दूर हो गई है। वित्त मंत्री का कहना था कि यूनियनों की चिंता करने की बात तथ्यहीन है क्योंकि पहले ही दिन मैंने स्पष्ट कर दिया था कि बैंकों के विलय से एक भी कर्मचारी की नौकरी पर नहीं जाएगी।
भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य: निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य के कारण ही हमने 10 सरकारी बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की घोषणा की थी। यह निर्णय देश में मजबूत और वैश्विक पैमाने के बड़े बैंक गठित करने के लक्ष्य से किया गया है।
किसी भी बैंक को बंद नहीं किया जाएगा: वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि किसी भी बैंक को बंद नहीं किया जाएगा। सीमाशुल्क, माल एवं सेवा कर और आयकर विभाग के अधिकारियों को संबोधित करते उन्होंने कहा कि किसी भी बैंक को कुछ भी नया करने के लिए नहीं कहा गया है।
10 बड़े बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की घोषणा: बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बड़े बैंकों का विलय कर 4 बैंक बनाने की घोषणा की थी, जिसके अनुसार पीएनबी में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का, केनरा बैंक में सिंडिकेट बैंक का, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का एवं इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय किया जाना है। विलय के बाद कुल सरकारी बैंकों की संख्या 12 रह जाएगी।