दिल्ली/नगर संवददाता : नई दिल्ली। संघ प्रमुख मोहन भागवत के ‘आरक्षण पर चर्चा’ वाले बयान के बाद विपक्षी दलों ने एक सुर में संघ पर हमला कर दिया। इतना ही नहीं, सरकार समर्थक आरपीआई ने भी इस मुद्दे पर नसीहत दे डाली। विवाद बढ़ा तो संघ को खुद सफाई देने के लिए आगे पड़ा।
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने ट्वीट कर कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत के दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिए गए भाषण के एक भाग पर अनावश्यक विवाद खड़ा करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाज में सद्भावनापूर्वक परस्पर बातचीत के आधार पर सब प्रश्नों के समाधान का महत्व बताते हुए आरक्षण जैसे संवेदनशील विषय पर विचार व्यक्त करने का आह्वान किया गया था।
अरुण कुमार ने कहा कि जहां तक संघ का आरक्षण के विषय पर मत है तो अनेक बार यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और आर्थिक आधार पर पिछड़ों के आरक्षण का संघ पूर्ण समर्थन करता है।
भागवत ने कहा था : दिल्ली के एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने आरक्षण के मुद्दे पर खुले दिल से बहस की बात करते हुए कहा था कि आरक्षण का पक्ष लेने वालों को उन लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए, जो इसके खिलाफ हैं। इसी तरह से इसका विरोध करने वालों को इसका समर्थन करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए। उन्होंने इस मामले में समाज के सभी वर्गों के सामंजस्य की बात कही।
दूसरी ओर बसपा सुप्रीम मायावती ने नसीहतभरे अंदाज में ट्वीट किया कि आरएसएस का एससी/एसटी/ओबीसी आरक्षण के संबंध में यह कहना कि ‘इस पर खुले दिल से बहस होनी चाहिए’, संदेह की घातक स्थिति पैदा करता है जिसकी कोई जरूरत नहीं है। आरक्षण मानवतावादी संवैधानिक व्यवस्था है जिससे छेड़छाड़ अनुचित व अन्याय है। संघ अपनी आरक्षणविरोधी मानसिकता त्याग दे तो बेहतर है। इतना ही नहीं, एनडीए सरकार में सहयोगी आरपीआई के प्रमुख रामदास अठावले ने भी आरक्षण को नहीं छूने की सलाह दी है।