नई दिल्ली/नगर संवाददाताः डोकलाम में तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए त्योहारों में आम जनता से स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल की अपील है। इसके साथ ही उन्होंने 1942 के ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ की तर्ज पर गरीबी, आतंकवाद, गंदगी, सांप्रदायिकता और जातिवाद को उखाड़ फेंकने का नारा दिया। रविवार को आम जनता से ‘मन की बात’ करते हुए प्रधानमंत्री ने त्योहारों के सामाजिक अर्थशास्त्र की जानकारी दी। उन्होंने इस अवसर पर स्वदेश निर्मित वस्तुओं के इस्तेमाल की अपील की। प्रधानमंत्री का कहना था कि त्योहारों में मिट्टी की देश में बनी मूर्तियों और दीयों का इस्तेमाल करने से गरीबों का रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि इससे हमारे त्योहार सामाजिक के साथ-साथ आर्थिक भी बन जाएंगे। वैसे उन्होंने चीन का नाम नहीं लिया। लेकिन, इशारा स्पष्ट था। दिवाली और गणेशोत्सव जैसे त्योहारों के दौरान देश में हजारों करोड़ के सजावटी सामान से लेकर मूर्तियां तक चीन से आती हैं। इससे धीरे-धीरे इनका स्वदेशी उद्योग चौपट हो गया है। त्योहार शुरू होने से कई महीना पहले प्रधानमंत्री ने चीनी सामान बेचने वाले व्यापारियों को इससे बचने की परोक्ष चेतावनी दे दी। एक बार सामान आयात हो जाने के बाद नहीं बिकने की स्थिति में भी असली नुकसान यहां के व्यापारियों को ही होगा।भ्रष्टाचार के मुद्दे पर इस्तीफे के लिए नीतीश कुमार की खुलकर तारीफ कर चुके प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में भी यह अहम मुद्दा बना रहेगा। उन्होंने बताया कि 1942 में महात्मा गांधी ने ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ का नारा दिया था और पांच साल के भीतर अंग्रेजों को जाना पड़ गया। उसी तर्ज पर अब देश में ‘भ्रष्टाचार भारत छोड़ो’ आंदोलन की जरूरत है। इसी तरह सांप्रदायिकता, गरीबी, आतंकवाद और जातिवाद के खिलाफ भी आंदोलन शुरू होना चाहिए। आजादी की लड़ाई के इतिहास का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि 1857 से शुरू लड़ाई के बाद 1942 में निर्णायक जंग का वक्त आया था। उसी तरह से आजादी के 70 साल बाद भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता जैसी बुराइयों से भी अंतिम जंग का वक्त आ गया है। अगले पांच सालों तक जंग के बाद ही 2022 तक हम देश को इनसे मुक्त कर सकेंगे। इस बार 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण छोटा रहेगा। मोदी ने लोगों के सुझाव पर इस बार लालकिले से अपना भाषण छोटा रखने की कोशिश करने का वादा किया है। प्रधानमंत्री ने विश्वकप के फाइनल तक पहुंचने वाली महिला टीम के साथ-साथ अन्य खेलों में सफलता का कीर्तिमान स्थापित करने के लिए महिला खिलाडि़यों की तारीफ की है। प्रधानमंत्री ने देश की जनता से ‘नए भारत’ के निर्माण का संकल्प लेने और देश को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का भी अनुरोध किया। जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हुए अभी एक महीना हुआ है और इसके फायदे दिखने लगे हैं। जीएसटी से कारोबार की प्रक्रिया सरल हुई और इसने पूरी अर्थव्यवस्था को बदल दिया है। खास बात यह है कि इसने देश में नई ईमानदारी की संस्कृति को बल दिया है। यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कही। प्रधानमंत्री ने कहा कि जीएसटी भारत की सामूहिक शक्ति की सफलता का एक उत्तम उदाहरण है। यह एक प्रकार से सामाजिक सुधार का भी अभियान है। पीएम ने कहा कि जीएसटी लागू हुए करीब एक महीना हुआ है और इसके फायदे दिखने लगे हैं। पीएम ने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि लोग उन्हें चिट्ठी लिखकर बता रहे हैं कि जीएसटी के कारण किस तरह गरीब की जरूरत की चीजों के दाम कम हुए हैं। इससे ग्राहकों का व्यापारी के प्रति भरोसा बढऩे लगा है। ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स सेक्टर पर जीएसटी के प्रभाव का जिक्र करते हुए पीएम ने बताया कि अब ट्रकों की आवाजाही बढ़ी है और दूरी तय करने में समय कम लग रहा है। ट्रकों की गति बढऩे के कारण प्रदूषण कम हुआ है। सामान भी बहुत जल्दी से पहुंच रहा है। इससे सुविधा के साथ-साथ आर्थिक गति को भी बल मिलता है। पहले अलग-अलग कर संरचना होने के कारण ट्रांसपोर्ट एवं लॉजिस्टिक सेक्टर में अधिकतम समय कागज पूरे करने में लगता था। प्रधानमंत्री ने जीएसटी को ‘गुड एंड सिम्पल टैक्स’ करार देते हुए कहा कि इससे अर्थव्यवस्था पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पुराने असेसीज ने जीएसटी के तहत नए पंजीकरण कराए हैं, इससे पूरे देश में नया विश्वास पैदा हुआ है। भारत में जीएसटी का क्रियान्वयन दुनियाभर में विश्वविद्यालयों के लिए शोध का विषय बनेगा।
स्वदेशी वस्तुओं के सहारे प्रधानमंत्री मोदी ने साधा चीन पर निशाना
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