नई दिल्ली/नगर संवाददाताः ‘लोगों की जिंदगी हमारे लिए पहले है, इंसानियत पहले है। हमारी मांगें तो बाद में भी पूरी हो जाएंगी लेकिन लोगों की जिंदगी से ज्यादा बड़ी हमारे लिए हमारी मांग नहीं हैं, इसलिए हम दुकान खोल रहे हैं। लोगों को दवा भी दे रहे हैं।’ कुछ इसी तरह की राय है दिल्ली-एनसीआर के अधिकांश मेडिकल स्टोर संचालकों की। इंसानियत के रास्ते चलते हुए रोहिणी, शालीमार बाग, मॉडल टाउन, वजीरपुर, नांगलोई जैसे शहरी इलाकों में तमाम मेडिकल स्टोर खुले हुए हैं तो बवाना, नरेला, कंझावला जैसे इलाकों के मेडिकल स्टोर वालों ने भी खुद को हड़ताल से दूर रखते हुए गांवों के भाई चारे को निभाने का संकल्प लेते हुए अपनी दुकानें खोली हैं। वहीं, हड़ताल से खुद को दूर रखने वाले इन दुकानदारों का कहना है कि दवा की जरूरत उसे होती है जिसकी जिंदगी पर बनी होती है वही दवा लेता है। जिस इलाके में हमारी दुकान है वहां के तमाम लोग एक-दूसरे को जानते- पहचानते हैं, ऐसे में भला कैसे किसी को दवा देने से इन्कार किया जा सकता है। प्रशांत विहार में एक मेडिकल स्टोर के संचालक देवेश का कहना है कि केवल हड़ताल किसी समस्या का समाधान नहीं हैं वह भी मेडिकल स्टोर की हड़ताल। मेडिकल स्टोर की हड़ताल किसी भी व्यक्ति की जान ले सकती है। हमारा काम किसी की जान लेना नहीं, लेकिन जान बचाना है इसलिए दुकान खोले हुए हैं। इसी तरह की राय पंजाबी बाग के एक अन्य मेडिकल स्टोर संचालक वीरेन्द्र यादव ने व्यक्त की। उनका कहना है कि मेरे यहां से ऐसे लोगों की दवा रोजाना जाती है, जिनकी जिंदगी ही दवा पर टिकी है। कई ऐसे लोग हैं जो रोजाना दवा लेकर जाते हैं। ऐसे में भला कैसे किसी की जिंदगी की परवाह किए बगैर हम हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (एआईओसीडी) के मुताबिक उन्होंने सरकार को सख्त नियम के खिलाफ प्रस्ताव भेजे थे, लेकिन इसे सुना नहीं गया। AIOCD जंतर-मंतर पर भी अपनी चिंताओं को लेकर प्रदर्शन कर सकता है। दवाइयों के दुकानदार ऑनलाइन फार्मेसी का भी विरोध कर रहे हैं। विक्रेताओं की मानें तो ऑनलाइन फार्मेसी से उनके व्यवसाय को नुकसान होगा। साथ ही दवाइयों के गलत इस्तेमाल और नकली दवाओं की बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।
आज देश भर में दवा दुकानों की हड़ताल
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